Bonds क्या होता है और कैसे करते है ये काम ?

Bonds क्या होता है और कैसे करते है ये काम ?

Bonds क्या होता है और कैसे करते है ये काम ?


नमस्कार दोस्तों, आपका स्वागत है! आज के इस लेख में हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण और रोचक विषय पर चर्चा करेंगे I Bonds, बॉंड्स एक फिक्स्ड इनकम निवेश साधन हैं यह लेख आपके लिए बेहद खास होने वाला है क्योंकि इसमें हम जानेंगे:  Bonds क्या होते हैं ?  तो दोस्तों, अगर आप फाईनेंशियल की दुनिया में निवेश शुरू करना चाहते हैं तो आपके लिए बान्डस भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। Bonds के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो यह लेख आपके लिए है। चलिए, बिना देर किए, शुरू करते हैं।

बान्डस क्या होता है,Bonds kya hota hai?

इन्वेस्ट्मेंट करने की कुछ तरीके होते हैं एक इन्वेस्ट्मेंट होता है जहाँ पर आप रेगुलर इंकम की डिमांड करते हैं दूसरा इन्वेस्ट्मेंट होता है जहाँ पर आप अपना सारा पैसा एक ही एसेट क्लास में ना डाल करके अलग-अलग जगह इंवेस्ट करते हैं तो ऐसे में यह जो Divert इंवेस्ट्मेंट होता है यह आपकी रिस्क भी कम कर देता है, अगर आप अपना सारा पैसा स्टॉक में इंवेस्ट नहीं करना चाहते हैं तो फिर आपके पास option होता है FD का लेकिन यहाँ पर आपको कम returns देखने के लिए मिलते हैं तो ऐसे में जो बीच का रास्ता है वो होता है बॉंड जो बॉंड है, यहाँ पर आपको FD से ज़्यादा return देखने के लिए मिलता है और यहाँ पर जो आपका risk है, वो स्टॉक से कम होता है।

Bonds कैसे काम करती है ?

बॉंड्स क्या होते और कैसे काम करती हैं अगर आसान शब्दों में कहें, तो जब किसी कम्पनी को पैसे की जरूरत होती है, तो वो fund-raise करती है अब fund-raise करने के उनके पास तीन options हो सकते हैं पहला हो सकता है कि वो stock market से direct fund-raise करें दूसरा तरीका यह हो सकता है कि वो bank के पास जाएं और वहाँ से loan ले लें तीसरा तरीका होता है bonds issue करने का, जिसके जरिये वो public या financial institute की मदद से fund-raise कर सकते हैं अब अगर वो stock market के जरिये fund-raise करते हैं, तो यहाँ पर उन्हें public को shareholders बनाना पड़ता है एसे में क्या होता है, जो company की shareholding है, वो कम हो जाती है हो सकता है कि companies ऐसा न चाहता हों, तो फिर उनके पास दूसरा option होता है bank के पास जाने का अगर वो bank से loan लेते हैं, तो यहाँ पर उन्हें ज़्यादा interest rate देने होते हैं हो सकता है कि company इतना interest rate भी नहीं देना चाहता हो, तो फिर उनके पास तीसरा option होता है बॉंड्स का जहां पर उन्हें कम इंट्रेस्ट रेट पर फंड raise करने का विकल्प दिया जाता है

Bonds से आप क्या समझते हैं।

दोस्तों अब बॉंड्स की प्रोसेस को ऐसे समझते हैं कि मान लीजिए सरकार ने फंड raise किया इसके लिए सरकार या तो पब्लिक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट के पास जा सकती है मान लीजिए सरकार ने 5000 करोड़ रुपए का फंड जो है वो raise किया इसमें पब्लिक ने बॉंड्स लेना शुरू किए अब जो इनकी requirement थी सरकार की वो मान लीजिए पूरी हो गई तो आपसे कहा गया कि ये जो पैसा है वो आपसे 5 साल के लिए लिया गया है जिसके बदले आपको कुछ तय intrest rate है वो दी जाएगी तो या तो ये आपको anualy दी जाएगी या फिर दूसरा विकल्प यह होता है कि सारा सब कुछ आपको मैच्योरिटी पीरियड के बाद कंपाउंडिंग intrest rate के साथ मिल सकता है इसी पैटर्न पर जो कंपनियां हैं वो भी अपने फंड रेज करती हैं, तो इसे कॉर्पोरेट बॉंड कहते हैं 

Bonds में रिस्क एन्ड रिटर्न क्या होता है !

दोस्तों अगर हम इसे रिस्क और रिटर्न दो फैक्टर्स के साथ तुलना करें तो स्टॉक मार्केट में आपको मिलता है हाई रिस्क हाई रिटर्न वहीं FD में आपको देखने मिलता है लो रिस्क लो रिटर्न 6 से 7 परसेंट इसके बीच का रास्ता होता है बॉंड्स जहां पर आपको मिलता है मॉडरेट रिस्क और मॉडरेट रिटर्न  9,10 परसेंट या फिर इसे कम ज्यादा तक मिल सकता हैं ।

बान्डस के फायदे एवं महत्वपूर्ण बातें।

बॉंड्स के फायदे के बारे में अब जान लेते हैं बॉंड्स से जुड़े कुछ इंपॉर्टेंट टर्म्स के बारे में सबसे पहले आती है फेस वैल्यू फेस वैल्यू वह वैल्यू है जो बॉंड्स की बेसिक कीमत होती है इसके बाद आता है कूपन रेट कूपन रेट वह ब्याज दर है जो बॉंड्स पर दी जाती है इसके बाद आता है टेन्योर जिस तरह से FD का एक टेन्योर होता है, एक अवधि होती है, इसी तरह बॉंड्स की भी अवधि होती है, तीन साल या पाँच साल, तो इसे हम कहते हैं टेन्योर इसके बाद आता है कूपन पेमेंट डेट यह वह समय होता है जब आपको ब्याज का भुगतान किया जाता है यह डेट क्वार्टरली या एनुअली हो सकती है इसके बाद आता है रिडेम्पशन वैल्यू यह वह राशि है जो कंपनी आपको बॉंड्स की अवधि पूरी होने पर लौटाती है रिडेम्पशन के कुछ तरीके हो सकते हैं पहला तरीका यह होता है कि कंपनी ने आपसे 1000 रुपए लिए और आपको 1000 रुपए ही लौटाए, तो इसे कहते हैं रिडेम्पशन एट पार यदि कंपनी आपको 1000 रुपए से ज्यादा वापस करती है, तो इसे कहते हैं रिडेम्पशन एट प्रीमियम यदि कंपनी आपको 1000 रुपए से कम लौटाती है, तो इसे कहते हैं रिडेम्पशन एट डिस्काउंट तो ये थीं बॉंड्स से जुड़ी कुछ बेसिक लेकिन बहुत ही खास बातें !

Conclusion:

बॉंड्स आपके वित्तीय पोर्टफोलियो में स्थिरता और सुरक्षा लाने का एक आदर्श विकल्प है। यह निवेशकों को जोखिम कम रखते हुए संतुलित और सुनिश्चित रिटर्न देता है। सही योजना और जानकारी के साथ, बॉंड्स में निवेश आपको वित्तीय सुरक्षा और भविष्य की स्थिरता प्रदान कर सकता है।

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